Guru Ravidas Jayanti – क्यूं मनाई जाती है गुरु रविदास जयंती, जाने इनका इतिहास, शिक्षा, पारिवारिक जीवन और भी बहुत कुछ
गुरु रविदास जयंती, हिंदू त्योहार है जो महान भक्ति संत गुरु रविदास की जन्मजयंती को समर्पित है। यह त्योहार हर वर्ष 25 फरवरी को मनाया जाता है।
विस्तार
गुरु रविदास, जिनका जन्म सन् 1450 में हुआ था, एक आदि-दरिद्र जाति से थे और उनका जीवन विशेषकर सामाजिक असमानता और जातिवाद के खिलाफ उठे सवालों को समर्थन करने में गुजरा। उन्होंने अपने उपदेशों और रचनाओं के माध्यम से समाज में एकता, सहिष्णुता, और भक्ति के महत्व को साबित किया।
गुरु रविदास जी ने अपनी आत्मकथा “भगत रविदास जी की वाणी” के माध्यम से अपने जीवन की ऊँचाइयों और नीचाइयों को साझा किया। उनकी रचनाएं आज भी संतता, भक्ति, और सामाजिक न्याय की अद्वितीय शिक्षाएं प्रदान करती हैं। गुरु रविदास जयंती के दिन भक्तों ने मंदिरों और गुरुद्वारों में आयोजन करके उनके उपदेशों को याद किया जाता है। इस दिन भक्तिभाव से भरी भक्ति सभाएं आयोजित होती हैं, जिनमें गुरु रविदास जी के जीवन और संदेशों की चर्चा होती है।
एक झलक उनकी जीवनी पर
गुरु रविदास जयंती प्रतिवर्ष 25 फरवरी को मनाई जाती है, यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भारत में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान रविदास, जो एक महान भक्ति साधक और संत थे, की जन्मजयंती को चिरपर्ण बनाने के लिए है। गुरु रविदास जी ने अपनी उपासना, भक्ति, और कला के माध्यम से समाज में समाजशास्त्रीय बदलाव को प्रोत्साहित किया और उनकी शिक्षाएं आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं।
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गुरु रविदास जी का जन्म सन् 1450 में वाराणसी के निकट सिरहल गाँव में हुआ था। उनके माता-पिता संतान की इच्छा के बाद भी एक अचूत जाति के थे, जिससे उन्हें समाज में उच्च स्थान प्राप्त नहीं हो सकता था। गुरु रविदास जी ने इस भूमिका को चुनौती देने के लिए अपने जीवन में सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन का प्रयास किया।
उन्होंने अपने जीवन को आपसी समरसता, सहिष्णुता, और सेवा में बिताया और भगवान के प्रति अपनी अद्वितीय भक्ति के माध्यम से लोगों को एकमात्र ईश्वर की प्रेमभावना की महत्वपूर्णता सिखाई। गुरु रविदास जी की शिक्षाएं आज भी सामाजिक न्याय, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, और समरसता के माध्यम से समृद्धि की दिशा में सजग करती हैं।
उनकी रचनाएं भी उनकी महानता को दर्शाती हैं। गुरु रविदास जी ने अपनी रचनाओं में सामाजिक और आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता का संदेश दिया, जो आज भी उपयोगी है। उनकी बाणी में सार्थक और आध्यात्मिक सिद्धांतों का समाहार किया गया है जो समाज में समरसता, भाईचारा, और सामाजिक न्याय की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।
गुरु रविदास जी ने अपने जीवन में अपनी आत्मकथा, संगीत, और साहित्य में भी अपने अद्वितीय दृष्टिकोण को प्रकट किया। उनकी आत्मकथा ‘भगत रविदास जी की वाणी’ ने उनके जीवन और भक्ति की महत्वपूर्ण कड़ियों को हम समझाया। गुरु रविदास जी की आत्मकथा में उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं और उनके आध्यात्मिक अनुभवों का सुंदर वर्णन है। उनका संगीत और साहित्य भी उनके दिव्य संबंध को साकार रूप से व्यक्त करते हैं।
गुरु रविदास जी ने अपने जीवन में सामाजिक असमानता और जातिवाद के खिलाफ उठे सवालों का सामना किया। उन्होंने भगवान के सामने सभी व्यक्तियों को समान मानने की बात की और भक्ति के माध्यम से सबको एक साथ जोड़ने का संदेश दिया। गुरु रविदास जी की उपदेशों ने समाज में सामाजिक एकता, उदारता, और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी हमें एक सशक्त और समृद्ध समाज की दिशा में मार्गदर्शन कर रही हैं। गुरु रविदास जी के जीवन और उनके संदेशों को याद करके हम समरसता और सामाजिक न्याय की ओर एक कदम और बढ़ा सकते हैं। उनकी जयंती को मनाकर हम उनके उदाहरण से प्रेरणा ले सकते हैं और उनके संदेशों को आज के समय में अपना सकते हैं।