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Vikrami Samvat and Year – क्या आप जानते हैं विक्रमी संवत और वर्ष में क्या अन्तर होता है, कैलेंडर बनता कैसे है, नहीं! आइये जानते हैं
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Vikrami Samvat and Year – क्या आप जानते हैं विक्रमी संवत और वर्ष  में क्या अन्तर होता है, कैलेंडर बनता कैसे है, नहीं! आइये जानते हैं

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Vikrami Samvat and Year - क्या आप जानते हैं विक्रमी संवत और वर्ष  में क्या अन्तर होता है, कैलेंडर बनता कैसे है, नहीं! आइये जानते हैं

Vikrami Samvat and Year – क्या आप जानते हैं विक्रमी संवत और वर्ष  में क्या अन्तर होता है, कैलेंडर बनता कैसे है, नहीं! आइये जानते हैं

विक्रमी सम्वत और वर्ष में अन्तर

विक्रमी सम्वत और वर्ष के बीच अंतर समझाने के लिए, हमें पहले इन दोनों को समझने की आवश्यकता है। विक्रमी सम्वत और वर्ष दोनों ही समय की माप के तरीके हैं, लेकिन इनमें थोड़ा अंतर होता है।

विक्रमी सम्वत, जिसे विक्रम संवत भी कहा जाता है, भारतीय हिन्दू पंचांग में एक साल को मापने का तरीका है। इसमें 12 महीने होते हैं, प्रत्येक महीने की एक चंद्रमा मास से युक्त होता है। विक्रमी सम्वत का प्रारंभ चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम पर किया गया था और यह भारतीय कैलेंडर में प्रमुख रूप से उपयोग होता है।

वर्ष, हमारे दैहिक जीवन की एक वृत्ति को मापने का तरीका है जो सामान्यत: सौरमंडलीय समय के साथ जुड़ा होता है। यह 365 दिनों का होता है, जिसमें एक साल में समय का पूरा चक्कर पूरा हो जाता है। विक्रमी सम्वत और वर्ष में अंतर इस बात पर निर्भर करता है कि कौनसा कैलेंडर सिद्धांतिक रूप से अनुसरण किया जा रहा है। विक्रमी सम्वत में माह का आधार चंद्रमा है, जबकि सामान्य वर्ष में सूर्यमंडलीय समय का उपयोग होता है। इस विशेष अंतर के कारण, इन दोनों में एक साल के चंद्रमा वर्ष का अंतर होता है। समाप्त करते हुए, विक्रमी सम्वत और वर्ष दोनों ही भिन्न परंपराएं हैं जो समय को मापने का तरीका प्रदान करती हैं, और इसलिए इनमें अंतर होता है।

विक्रमी संवत कैसे बनता है?

विक्रमी संवत भारतीय हिन्दू पंचांग में एक प्रमुख समय मापन का तरीका है और इसका उत्पत्ति चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय से माना जाता है। इसे ‘विक्रम संवत’ के नाम पर भी जाना जाता है।

विक्रम संवत का प्रारंभ चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा 57 ईसा पूर्व को शक संवत के बाद किया गया था। इस परंपरा में वर्ष को बारह माहों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक माह को एक चंद्रमा मास से जोड़ा गया है। यह चंद्रमा मास सौरमंडलीय समय के साथ सम्बंधित होता है और इसका उपयोग भारतीय हिन्दू कैलेंडर में समय की मापन में किया जाता है।

विक्रम संवत में प्रत्येक साल का नामकरण भी होता है, जो भारतीय परंपरा और द्रविड़ पंचांगों के अनुसार होता है। यह नामकरण अधिकतर तिथियों और त्योहारों से संबंधित होता है और सम्पूर्ण साल के चक्कर को आधारित करता है। विक्रम संवत भारतीय समाज में महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में होता है। यह समय मापन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय पौराणिक और ऐतिहासिक परंपराओं के साथ जुड़ा हुआ है।

वर्ष का कैलेंडर किस तरह बनता है यह किस पर आधारित होता है?

वर्ष का कैलेंडर बनाने में कई तरीके और आधार हो सकते हैं, जो विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं पर निर्भर करते हैं। यहां कुछ प्रमुख आधार दिए गए हैं:

1. **सौरमंडलीय समय:**

– अधिकांश कैलेंडर सौरमंडलीय समय के आधार पर बनते हैं। इसमें साल की लंबाई को सूर्य के चक्कर के आस-पास की गति के हिसाब से मापा जाता है। यह सौरमंडलीय समय के आधार पर बनाए गए हिन्दी पंचांग, यूरोपीय ग्रीगोरियन कैलेंडर, और ज्यूलियन कैलेंडर की तरह कैलेंडरों को समर्थन करता है।

2. **चंद्रमा मास:**

– कुछ पंचांग चंद्रमा मासों के आधार पर होते हैं, जिसमें एक साल को 12 चंद्रमा मासों में विभाजित किया जाता है। हिन्दू पंचांग और बारह मासिक कैलेंडर इसी सिद्धांत पर काम करते हैं।

3. **संस्कृति और धार्मिक आयाम:**

– कुछ सांस्कृतिक और धार्मिक कैलेंडर, जैसे कि हिन्दू, इस्लामी, इब्राहीमी, चीनी, और यहूदी कैलेंडर, अपनी संस्कृति, धर्म, और ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर बनाए जाते हैं।

Note – इन आधारों पर बनाए जाने वाले कैलेंडर अलग-अलग समुदायों और संस्कृतियों के लिए विशेष होते हैं और उनका उपयोग उनकी स्वास्थ्य, धार्मिक आयाम, और सांस्कृतिक उत्सवों के साथ जुड़ा होता है।

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