संसद की सुरक्षा में सेंध का मामला लगातार सुर्खियों में है. लोकसभा में दो लोगों के घुसने और रंगीन धुएं का इस्तेमाल करने की घटना के बाद सरकार ने संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप दी है. CISF कई हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो, संग्रहालयों और विरासत स्थलों सहित देश के कई महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
CISF क्यों खास है? संसद की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के अलग-अलग अंगों में CISF को ही क्यों चुना गया, आइए समझें
पहले संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के पास थी. अब गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले सीआईएसएफ जवानों के पास यह जिम्मेदारी होगी. 13 दिसंबर की घटना के बाद गृह मंत्रालय ने संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपने का फैसला किया. सीआईएसएफ दिल्ली पुलिस से सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीआईएसएफ सुरक्षा और फायर विंग की तैनाती से पहले संसद परिसर में सुरक्षा आवश्यकताओं की समीक्षा की जाएगी।
सीआईएसएफ गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में से एक है। छह अन्य सुरक्षाबलों की यूनिट के नाम- सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सशस्त्र सीमा बल (SSB), असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) हैं।
एक नजर यहाँ भी
खाद और केमिकल से जुड़े FACT के अलावा रक्षा उत्पादन इकाइयों की सुरक्षा का जिम्मा भी सीआईएसएफ को सौंपा गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नोटों की छपाई करने वाले टकसाल और ताज महल जैसे वैश्विक विरासतों को भी सीआईएसएफ महफूज रखती है। 60 से अधिक हवाई अड्डों और महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा में भी सीआईएसएफ जवान तैनात हैं। CISF को सेवाओं के बदले भुगतान किया जाता है। यानी इसे प्रतिपूरक लागत बल (compensatory cost force) भी कहा जाता है। सीएपीएफ में शामिल अन्य सुरक्षाबलों की तुलना में सीआईएसएफ का सार्वजनिक इंटरफ़ेस यानी जनता के सामने रहने की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील परिस्थितियों को देखते हुए सीआईएसएफ कर्मियों को बेहद कठिन प्रशिक्षण से गुजरना होता है। उन्हें जनता के साथ-साथ अक्सर लोगों की भारी भीड़ से निपटने का कौशल भी सिखाया जाता है।
दायरा बढ़ने का एक प्रमाण सीआईएसएफ को सौंपी गई वीआईपी सिक्योरिटी को भी माना जा सकता है। पहले सुरक्षा समीक्षा के आधार पर वीआईपी सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के जवान तैनात किए जाते थे। हालांकि, करीब पांच साल पहले संसदीय समिति की सिफारिश के बाद सीआईएसएफ को भी वीआईपी सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया। इसका मकसद सीआरपीएफ-आईटीबीपी और एनएसजी का बोझ कम करना है। साल 2020 में, सरकार ने एनएसजी को सुरक्षा ड्यूटी से पूरी तरह अलग कर दिया। अब यह आतंकवाद और अपहरण-विरोधी कर्तव्यों के लिए समर्पित है।
सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक अन्य सभी सीएपीएफ की तुलना में सीआईएसएफ में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है। सीआईएसएप में महिला कॉन्स्टेबलों का पहला बैच करीब 46 साल पहले 1987 में शामिल किया गया था। पहली महिला अधिकारी सहायक कमांडेंट के पद पर नियुक्त हुई थीं। गठन के पांच दशक बाद तरक्की कितनी हुई है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में सीआईएसएफ का नेतृत्व विशेष महानिदेशक नीना सिंह कर रही हैं। वह इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं।
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