Ram Mandir – शंकराचार्यों का दावा- राम मंदिर उद्घाटन में हो रहा नियमों का उल्लंघन, ऐसा क्यूँ
अयोध्या (Ayodhya) में बने राम मंदिर के उद्घाटन (Ram Mandir Inauguration) को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल है. 22 जनवरी को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा (Ram Lalla Pran Pratishta) समारोह है, जिसे लेकर खूब तैयारियां चल रही हैं. इस बीच राम मंदिर के उद्घाटन में चारों शंकराचार्यों के शामिल होने को लेकर संशय बना हुआ है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि यह कार्यक्रम सनातन धर्म के नियमों को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा और वह शास्त्रों के विरुद्ध नहीं जा सकते इसलिए वह सामरोह में शामिल नहीं होंगे.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार (10 जनवरी) को हरिद्वार में साफ किया कि चारों शंकराचार्य राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी समारोह में शामिल होन से इनकार किया है. हालांकि, बाकी दो शंकराचार्यों- स्वामी भारतीकृष्णा और स्वामी सदानंद सरस्वती की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है और ना ही शामिल होने या शामिल नहीं होने को लेकर उन्होंने अपना रुख साफ किया है. आइए जानते हैं क्या हैं वह नियम, जिनके उल्लंघन की बात कर रहे हैं शंकराचार्य- उन्होंने कहा, ’22 दिसंबर, 1949 को आधी रात को विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई थी और 1992 में ढांचा गिरा दिया गया इसलिए रामलला की प्रतिमा को दूसरी जगह विराजमान किया गया. ये सब घटनाएं किसी वजह से अचानक से हुई थीं इसलिए उस वक्त किसी शंकराचार्य ने सवाल नहीं उठाया था, लेकिन अब कोई जल्दबाजी नहीं है. हमारे पास राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के लिए समय है और मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अब हम चुप नहीं रह सकते और कहेंगे कि राम मंदिर का काम पूरा हुए बिना उद्घाटन करना और भागवान राम की प्रतिमा वहां विराजमान करने का विचार ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि समारोह आयोजित करने वाले हो सकता है हमें एंटी-मोदी कहें. ऐसा नहीं है, लेकिन हम शास्त्रों के विरुद्ध नहीं जा सकते.
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ओडिशा के जगन्नाथपुरी के गोवर्धनपीठ के शंकराचार्य हैं. उन्होंने भी मंदिर के उद्घाटन में शास्त्रों के नियमो के उल्लंघन की बात कही है. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मुझसे कोई सुझाव नहीं लिया गया तो मैं नाराज हूं, लेकिन स्कंद पुराण के अनुसार, अगर नियमों और रीति-रिवाज का ठीक से पालन नहीं किया जाता है तो प्रतिमा में बुरी चीजें प्रवेश कर जाती हैं और उस क्षेत्र को नष्ट कर देती हैं.’ उन्होंने कहा कि उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन के लिए निमंत्रण मिला है, लेकिन वह अभी मंदिर नहीं जाएंगे, जब सनातन धर्म के अनुसार कार्यक्रम होगा तो वह शामिल होंगे.
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